श्री यंत्र मंदिर, हरिद्वार: एक आध्यात्मिक शक्ति उपासना केंद्र
परिचय
हरिद्वार, उत्तराखंड में पवित्र गंगा नदी के तट पर स्थित श्री यंत्र मंदिर, भारत के सबसे प्रतिष्ठित शक्ति उपासना केंद्रों में से एक है। इस मंदिर की स्थापना 1991 में निर्वाण पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर ब्रह्मलीन स्वामी श्री विश्वदेवानंद पुरी जी महाराज ने की थी। यह विश्व का पहला श्री यंत्र मंदिर है, जो लाल पत्थर से निर्मित है, और यह भक्तों, साधकों और आध्यात्मिक जिज्ञासुओं के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थल है। यह मंदिर न केवल पूजा और दर्शन का केंद्र है, बल्कि ध्यान, योग, और आत्म-जागृति के लिए भी एक प्रमुख स्थान है।
मंदिर का इतिहास और स्थापना
श्री यंत्र मंदिर की स्थापना स्वामी श्री विश्वदेवानंद पुरी जी महाराज ने विश्व कल्याण साधनायतन के तहत की थी, जो उनके द्वारा हरिद्वार में स्थापित एक प्रमुख संगठन है। स्वामी जी का जन्म 12 दिसंबर 1949 को उत्तर प्रदेश के कानपुर संभाग के नौगांव गाँव में कैलाश नाथ शुक्ला के रूप में एक पवित्र ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन से ही उनकी रुचि आध्यात्मिकता और वैदिक शास्त्रों में थी, जिसने उन्हें सन्यासी जीवन अपनाने और मानव कल्याण के लिए समर्पित होने के लिए प्रेरित किया। 1962 में, उन्होंने परम तपस्वी अनंत श्री विभूषित आचार्य महामंडलेश्वर निर्वाण पीठाधीश्वर स्वामी अतुलानंद जी से सन्यास दीक्षा ली और परमहंस परिव्राजकाचार्य स्वामी विश्वदेवानंद जी महाराज के रूप में जाने गए।
स्वामी जी ने वेद, उपनिषद, भगवद गीता, रामायण, और अन्य पूर्वी और पश्चिमी दर्शनों का गहन अध्ययन किया। उनकी दृष्टि थी "वसुधैव कुटुंबकम" – अर्थात्, समस्त विश्व एक दैवीय परिवार है। इस दृष्टिकोण के साथ, उन्होंने श्री यंत्र मंदिर की स्थापना की, जो भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि का प्रतीक है। यह मंदिर कनखल, हरिद्वार में स्थित है, जो दक्ष प्रजापति मंदिर से मात्र 300 मीटर की दूरी पर है। मंदिर का निर्माण कार्य 1991 में शुरू हुआ और यह आज भी भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक आश्रय स्थल के रूप में कार्य करता है।
मंदिर की विशेषताएं और संरचना
श्री यंत्र मंदिर एक शक्ति उपासना केंद्र है, जो भगवती ललिता त्रिपुरा सुंदरी को समर्पित है। त्रिपुरा सुंदरी, दस महाविद्याओं में से तृतीय महाविद्या, को षोडशी (सोलह वर्षीय कन्या) के रूप में दर्शाया जाता है, जो सोलह प्रकार की इच्छाओं का प्रतीक है। मंदिर का मुख्य आकर्षण श्री यंत्र है, जो नौ अंतःस्थापित त्रिकोणों से बना है, जो 43 छोटे त्रिकोण बनाते हैं। ये त्रिकोण दो कमल-पंखुड़ियों के घेरों और एक टी-आकार के चतुष्कोणीय ढांचे में समाहित हैं। यंत्र के केंद्र में बिंदु, जिसे बिंदु कहते हैं, शुद्ध चेतना का प्रतीक है। श्री यंत्र को सभी यंत्रों में सर्वोच्च माना जाता है, जो भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि को आकर्षित करता है।
मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर के अलावा एक आश्रम, योग-ध्यान कक्ष, एक पूर्ण सुसज्जित पुस्तकालय, और गंगा के तट पर एक निजी स्नान घाट शामिल है। मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक हिंदू शैली में निर्मित है, जिसमें तारों के डिज़ाइन वाली बाहरी दीवारें इसे विशिष्ट बनाती हैं। यह परिसर न केवल पूजा के लिए, बल्कि साधना, ध्यान, और सेवा के लिए भी एक आदर्श स्थान है।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
श्री यंत्र मंदिर भक्तों और साधकों को आध्यात्मिकता, योग, और वैदिक ज्ञान की खोज के लिए एक मंच प्रदान करता है। यह मंदिर श्रीविद्या की साधना का केंद्र है, जो वेदांतिक ज्ञान का प्रतीक है। श्रीविद्या के अनुसार, त्रिपुरा सुंदरी समस्त विश्व को ब्रह्म के रूप में देखने की शुद्ध दृष्टि प्रदान करती हैं, जहां संसार और निर्वाण एक हो जाते हैं।
मंदिर में चैत्र (अप्रैल) और अश्विन (अक्टूबर) मास में नवरात्रि के दौरान बड़े समागम आयोजित होते हैं। मां त्रिपुरा सुंदरी का पाठोत्सव अप्रैल माह में मनाया जाता है। इसके अलावा, शिवरात्रि, जन्माष्टमी, और अन्य प्रमुख त्योहारों के दौरान मंदिर भक्तों से भरा रहता है। मंदिर की दैनिक पूजा और आरती का समय निम्नलिखित है:
मंगल आरती: सुबह 6:00 से 7:00 बजे तक
राज श्री आरती: दोपहर 11:00 से 11:30 बजे तक
मुख्य आरती: शाम 7:15 से 8:30 बजे तक
शयन आरती: रात 10:00 बजे
मंदिर में भक्त अपनी इच्छानुसार पूजा, यज्ञ, या लंगर प्रायोजित कर सकते हैं। मंदिर प्रशासन भक्तों के लिए प्रसाद को उनके घर तक कूरियर के माध्यम से भेजने की व्यवस्था भी करता है।
विश्व कल्याण साधनायतन आश्रम
श्री यंत्र मंदिर के साथ संलग्न विश्व कल्याण साधनायतन आश्रम भक्तों और साधकों के लिए आवास प्रदान करता है। आश्रम में लगभग 70 सुसज्जित और स्वच्छ कमरे उपलब्ध हैं, जहां भक्त ध्यान, साधना, और सेवा में समय बिता सकते हैं। आश्रम में आयुर्वेदिक सिद्धांतों पर आधारित सात्विक भोजन की व्यवस्था है। यह आश्रम सभी धर्मों और राष्ट्रीयताओं के लोगों के लिए खुला है, जो शांति, आध्यात्मिक साधना, और आत्म-जागृति की खोज में हैं।
आश्रम में विभिन्न सांस्कृतिक, शैक्षिक, और आध्यात्मिक गतिविधियां आयोजित की जाती हैं, जिनमें भक्त अपनी इच्छानुसार भाग ले सकते हैं। यह स्थान उन लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो मां त्रिपुरा सुंदरी की उपासना करना चाहते हैं।
स्वामी विश्वदेवानंद जी महाराज का योगदान
स्वामी विश्वदेवानंद जी महाराज ने न केवल श्री यंत्र मंदिर की स्थापना की, बल्कि विश्व कल्याण साधनायतन के माध्यम से सामाजिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए कई कार्य किए। उन्होंने गरीब ब्राह्मण छात्रों और सन्यासियों के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर थे और हरिद्वार, वाराणसी, कोलकाता, और अहमदाबाद में विभिन्न आश्रमों के अध्यक्ष रहे।
उनके शिष्य, श्री अनंतबोध चैतन्य, जो 13 अप्रैल 2005 को दीक्षित हुए, उनके कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं। अनंतबोध चैतन्य ने श्री यंत्र और श्रीविद्या पर कई व्याख्यान दिए, जिनमें से कुछ मंदिर की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। वे वर्तमान में लिथुआनिया में स्वामी विश्वदेवानंद योग वेदांत आश्रम की स्थापना में व्यस्त हैं।
स्वामी जी ने 30 वर्षों तक सनातन धर्म के प्रचारक के रूप में धार्मिक प्रवचन दिए, जिन्होंने हजारों लोगों के जीवन को बदल दिया। उनकी सरल, वैज्ञानिक, और रोचक प्रस्तुति ने वैदिक दर्शन को जन-जन तक पहुंचाया। दुर्भाग्यवश, 7 मई 2013 को देहरादून के जॉली ग्रांट हवाई अड्डे से आश्रम लौटते समय एक कार दुर्घटना में उनकी महासमाधि हो गई। उनकी मृत्यु मानवता के लिए एक बड़ी क्षति थी।
मंदिर तक पहुंच
श्री यंत्र मंदिर हरिद्वार में कनखल में स्थित है, जो दिल्ली से 208 किलोमीटर और देहरादून से 52 किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर तक पहुंचने के लिए निम्नलिखित साधन उपलब्ध हैं:
कार द्वारा: दिल्ली-हरिद्वार मार्ग पर स्वामी श्रद्धानंद चौक (सिंघद्वार) से दाहिनी ओर लक्सर रोड पर मुड़ें। आश्रम एक किलोमीटर की दूरी पर है, जहां मंदिर का साइनबोर्ड दिशा-निर्देश देता है।
रेल द्वारा: हरिद्वार जंक्शन तक दिल्ली से कई ट्रेनें उपलब्ध हैं। स्टेशन से मंदिर तक टैक्सी या ऑटो-रिक्शा लिया जा सकता है।
हवाई मार्ग से: निकटतम हवाई अड्डा जॉली ग्रांट, देहरादून में है, जो मंदिर से 26 किलोमीटर दूर है। वहां से टैक्सी या बस द्वारा हरिद्वार पहुंचा जा सकता है।
मंदिर का महत्व और वैश्विक प्रभाव
श्री यंत्र मंदिर विश्व भर से भक्तों और साधकों को आकर्षित करता है, जिनमें अमेरिका, यूरोप, और इंग्लैंड के लोग शामिल हैं। स्वामी विश्वदेवानंद जी के सत्संग में भाग लेने के लिए हजारों लोग हरिद्वार आते थे। उनके शिष्य, जैसे अनंतबोध चैतन्य, ने उनके दर्शन को विश्व स्तर पर फैलाया, विशेष रूप से माल्टा, रूस, लिथुआनिया, स्पेन, इंडोनेशिया, और थाईलैंड जैसे देशों में।
मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह आध्यात्मिक शिक्षा और सामाजिक कल्याण का केंद्र भी है। यहाँ के योग और ध्यान कक्ष पतंजलि की शिक्षाओं पर आधारित हैं, जो साधकों को आत्म-जागृति की ओर ले जाते हैं।
निष्कर्ष
श्री यंत्र मंदिर, हरिद्वार, स्वामी श्री विश्वदेवानंद पुरी जी महाराज की दूरदर्शिता और आध्यात्मिक समर्पण का प्रतीक है। यह मंदिर भौतिक और आध्यात्मिक समृद्धि का संगम है, जो साधकों को शांति, ज्ञान, और आत्म-जागृति प्रदान करता है। चाहे आप एक भक्त हों, साधक हों, या आध्यात्मिक जिज्ञासु, यह मंदिर आपको अपने भीतर की उच्च सच्चाई से जोड़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। मां त्रिपुरा सुंदरी और श्री यंत्र की कृपा से, यह स्थान विश्व भर में आध्यात्मिकता का प्रकाश फैला रहा है।
संपर्क जानकारी:
पता: श्री यंत्र मंदिर, विश्व कल्याण साधनायतन, कनखल, हरिद्वार, उत्तराखंड, भारत
फोन: +91-01334-246918, 9810223465
ईमेल: shriyantramandir@gmail.com
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